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Showing posts from 2011

Guru Maharaj Pics

jaigurudev news-8.9.11

जयगुरूदेव समाचार मथुरा 8 सितम्बर 2011.        परम पूज्य बाबा जयगुरूदेव जी महाराज के आदेश से जगह-जगह सत्संगी-प्रेमी स्त्री-पुरूष व बच्चे-बच्चियां शाकाहारी कमीज़ पहनकर चारों तरफ प्रतिदिन भारत में फेरियां निकाल रहे हैं, नारे लगा रहे हैं किः- क्या खाने से हुए खराब, अण्डा, मछली मांस शराब। क्या खाने से होगी भलाई, साग, सब्जी, दूध, मलाई।        भारत में सत्ता पर काबिज रहने का संघर्ष चल रहा है। माया का खेल और उसकी बौखलाहट चरम सीमा पर है। देवता लोग उस प्रभु से प्रार्थना कर रहे हैं कि रावणों के खेल  को समाप्त करो ताकि जनता सुखमय जीवन बिताने के लिए एक नए युग में प्रवेश कर सके। देवताओं ने त्रेता में भी भगवान राम से यही प्रार्थना कि थी किः-? ''अब जनि राम खेलावहु येही।''        अर्थात रावण का वध कर दो ताकि जनता आतंकवाद के चुंगल से निकल जाए। बाबा जयगुरूदेव जी महाराज के शब्दों मेंः- ''पहले तो एक रावण था और अब तो घर-घर में रावण हैं और सभी रावण मारे जायेंगे।'' बाबा जी की भूली-बिसरी बातें        क्या कोई रोगी किसी पुराने जमाने के प्रसिद्ध वैद्य,हकीम से ...

बंदरो की किस्मत - एक प्रेमी का संस्मरण

  एक बार स्वामी जी महाराज बबराला गये जो जिला बँदायू मेँ पङता है । उन दिनोँ आर. बी. लाल साहब कस्टम एंड सेँट्रल एक्साइज मेँ इंसपेक्टर थे । उनके मकान पर स्वामी जी रुके थे । दोपहर मेँ स्वामी जी के साथ मैँ छत पर बैठा था । इतने मेँ दो चार बंदर आकर किनारे बैठ गये । स्वामी जी उनको देखते रहे फिर मुझसे बोले कि नीँचे जाकर इनके लिए कुछ खाने को ले आओ । एक झोले मेँ भूने चने रखे थे जिसे बहन जी ने मुझे दिया और मैने उसे लाकर स्वामी जी को दे दिया । स्वामी जी ने झोले से एक मुट्ठी चना निकाला और एक बंदर की तरफ दिखा कर बोले कि ले । वो बंदर कुछ देर तक तो स्वामी जी को देखता रहा फिर धीरे धीरे पास आया । स्वामी जी की मुट्ठी से उसने कुछ दाने निकालकर खाये फिर धीरे से स्वामी जी ने मुट्ठी बंद कर ली । फिर बंदर स्वामी जी की मुट्ठी खोलने लगा और स्वामी जी की तरफ देख कर कुछ कहता । मैँ डर गया कि कहीँ बंदर स्वामी जी को काट न ले । मेरा दिल धक धक कर रहा था । मैँने सोचा कि एक डंडा ले आऊँ । इतने मेँ स्वामी जी ने कहा कि चुपचाप बैठे रहो वर्ना ये सब तुमको काट लेँगे । इतनी देर मेँ 30-40 बंदर सभी छत पर आ गये । स्वामी जी एक-एक को ब...

केवल भक्ति पियार

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jaigurudev news-25-8-2011

जयगुरूदेव समाचार मथुरा 25 अगस्त 2011.        कहा गया है किः- क्या होगा कौन से पल में कोई जाने न।        आसमान के ऊपर देवताओं की पार्लियामैंट में इस मृत्युलोक की चर्चायें हो रही हैं। रास्ता इस मनुष्य शरीर में दोनों आंखों के ऊपर से गया है। नारद जी इसी रास्ते से रोज ऊपर जाकर ब्रह्म, विष्णु, महादेव आदि देवताओं से मिलते थे। आज भी बाबा जयगुरूदेव जी महाराज के प्रेमी जो साधना में ऊपर के लोकों  स्वर्ग, बैकुण्ठ, ईश्वरधाम आदि का सफर करते हैं कहते हैं कि कुदरत अब  लोगों को सजा देना चाहती है। धरती पर पाप, हत्या, अत्याचार अपनी सीमायें पार कर गया है। लेकिन महात्माओं से हरी झण्डी नहीं मिल रही है इसलिए वे मजबूर हैं। जिस समय उनका इशारा होगा उसी क्षण रात को कुछ और सुबह कुछ नजारा होगा।        दिल्ली के सावन आश्रम के संत कृपालसिंह जी महाराज के एक साधक ने अपनी रचना में सुनाया किः- थे चरचे आसमानों में, जमीं वालों का क्या होगा ? सदा आई खुदा खुद जाएगा, खुद रहनुमा होगा। तो पूछा कैसे जाएगा, खुदा बन्दों की बस्ती में ? जवाब आया कि, बन्दों के लिए बन्दा बना होगा। तो पूछा कैसे पहचानेंगे बन्दे, त...

Baba Jaigurudev said be vegetarian

jaigurudev news-20-7-2011

जयगुरूदेव समाचार मथुरा 20 जुलाई 2011.        पावन गुरूपूर्णिमा सत्संग कार्यक्रम सम्पन्न हो चुका है किन्तु इससे जुड़ी यादें व बातों की चर्चा जारी है। इस वर्ष के कार्यक्रम में आंध्र प्रदेश की संगत ने अपना कैम्प जोर-शोर से चलाया। दक्षिण भारतीय संगतों में इसकी चर्चा होती रही। विशेष बात यह रही कि संगत ने सीमित साधनों से ही भण्डारा चलाकर गुरू की दया-मौज को लूटा। चारों ओर इसकी प्रशंसा होती रही।        बाबा जयगुरूदेव जी महाराज के आदेश से पुरूष व स्त्रियां शाकाहारी बनने के संदेशों के छपे जैकेट पहनकर देश के कई प्रान्तों में व्यापक प्रचार कर रहे हैं। कुछ स्थानों में, गांवों में गीत गाकर जनता को सुना रहे हैं जिसे सुनकर लोग विचार करने पर बाध्य हो गए हैं। कविता की लाइनें इस प्रकार हैः- अब मिल गया 'प्रचार' का ''आधार'' भाइयों। सबसे ''सुखद'' आहार, ''शाकाहार'' भाइयों। सतयुग व त्रेता-द्वापर में, सबकी खुराक थी। संग्राम-महाभारत में, इसकी ही ''धाक'' भाइयों। तामस ''खुराक'' वालों ने खाई ''मार'...

jaigurudev news-5.7.11

कहावत है कि 'अति सर्वत्र वर्जयेत'। आज देश की राजनीति में हर प्रकार की और हर क्षेत्र में अति हो गई है तो अब यह निश्चित है कि कुछ न कुछ होगा। जब रावण के आंतक से त्रेता युग में ऋषि, मुनि, देवता सब बुरी तरह त्रस्त हो गए थे तो उनकी अन्तरआत्मा से यही आवाज निकली किः- अब जनि राम खेलावहु येही        अर्थात उन्होंने भगवान राम से प्रार्थना किया अब इसे मार दो ताकि आतंक मिट जाए।        गुरू पूर्णिमा का सत्संग कार्यक्रम 12 से 16 जुलाई तक होगा और तैयारियां जोरों के साथ मथुरा में हो रही हैं। सभी लोगों को शाकाहारी होने का प्रचार करने का आदेश बाबा जी ने प्रेमियों को दिया है उसमें बाबा जी का कुछ संकल्प है जीवों को नर्कों और चौरासी में जाने से बचाने के लिए। बाबा जी ने कहा था किः- सतयुग आ रहा है और कलयुग जा रहा है। जिस समय दोनों की टक्कर होगी उसमें बीसों करोड़ लोग साफ हो जायेंगे। बाबा जी ने कहा        सत्संगी अपनी निरख-परख बराबर करते रहें। काल का जोर चल रहा है। सबको सत्संगी नहीं समझना नहीं चाहिए। ऐसी-ऐसी तरंगें और अच्छायें लेकर लोग आते हैं कि पूरी नहीं हुईं तो चले जाते हैं। सत्सं...

शाकाहार प्रचार के लिए पर्चे का प्रारूप

परम पूज्य स्वामीजी महाराज द्वारा हस्ताक्षर की गयी गुरु पूर्णिमा 2011 की आधिकारिक सूचना

 परम पूज्य स्वामीजी महाराज द्वारा हस्ताक्षर की गयी गुरु पूर्णिमा 2011 की आधिकारिक सूचना

jaigurudev news-31.5.11

जयगुरूदेव समाचार मथुरा 31 मई 2011.        पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिक ए.क्यू. खान ने कहा है कि उनके देश में पिछले दस साल से बिना किसी रूकावट के परमाणु कार्यक्रम चल रहा है और यूरेनियम संवर्धन की प्रक्रिया भी जारी है। जरूरत पड़ने पर कभी भी परमाणु हथियार बनाये जा सकते हैं।        बाबा जी मथुरा आश्रम पर हैं। स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण बाबा जी अभी बाहर निकलने की मौज में नहीं हैं। प्रेमियों को निर्देश दिया है कि भजन- ध्यान , सुमिरन रोज-रोज करें। यह काम जरूरी है।        दर्शन के लिए आए एक प्रेमी की बातों को सुनकर अपने संक्षेप संदेश में कहा कि इस मनुष्य शरीर की दोनों आंखों के पीछे देवता रहते हैं। वह देश सदा प्रकाशवान है, वहां अंधेरा कभी होता ही नहीं। देवताओं का शरीर मनुष्य जैसा ही होता है मगर पंच भौतिक नहीं होता जैसाकि यहां मनुष्यों का होता है। वह लिंग शरीर है जो 17 तत्वों का होता है। साधक जो साधना करते हैं वे शरीर को छोड़कर ऊपर के दैविक लोकों में जाते हैं, देवताओं से मिलते हैं, बातें करते हैं फिर वापस शरीर में लौट आते हैं। इसी क्रिया को जीते जी मरना कहते हैं। रामायण में क...

jaigurudev news-29.5.11

जयगुरूदेव समाचार मथुरा 29 मई 2011.        जयगुरूदेव आश्रम मथुरा में आजकल अत्यधिक सुन्दर भवन निर्माण कार्य चल रहा है। कौन से मेहमान इसमें ठहरेंगे इसका अनुमान किसी को नहीं है।        कुछ वर्ष पहले बाबा जी मन्दिर मैदान में मंच से पश्चिम की तरफ इशारा करते हुए कहा था कि बड़े-बड़े मुल्कों के राष्ट्राध्यक्ष हेलीकॉप्टर से उधर आयेंगे और समय लेकर मुझसे बात करेंगे।        बाबा जी ने कहा कि विचार करो कि मनुष्य का खून अनाज, सब्जी, फलों, दूध, घी से तैयार होता है। भैंस, गाय, सूअर, खरगोश, हिरण, मुर्गा, बतख आदि जानवरों का खून मनुष्य के खून से अलग होता है। जो भी मनुष्य मांस भक्षण करते हैं, इनका मांस खाते हैं तो उनके खून में जानवरों का खून मिल जाएगा। जब ज्यादा मात्रा में पशु-पक्षियों का खून हो जाएगा तो जो भी दवायें दी जाती हैं मनुष्य को असर नहीं करेंगी। दवा तो मनुष्य के खून की दी जाती है। जानवरों के खून की अलग दवा है, वह पशु-पक्षियों को ही दी जाती है। जानवरों की दवा यदि मनुष्यों को दे दी जाए तो मनुष्य का खून खत्म हो जाएगा, जानवरों का खून रह जाएगा। पशु-पक्षियों और कीड़ों के खून के कीटाणु य...

jaigurudev news-27.5.11

जयगुरूदेव समाचार मथुरा 27 मई 2011.        उत्तर प्रदेश के एक गांव की लड़की के ऊपर किसी छाया का प्रभाव होने के कारण परेशान होकर उसके माता-पिता जयगुरूदेव आश्रम, मथुरा पहुंचे और बाबा जी से दया की भीख मांगी। बाबा जी ने कहा कि शाम को डाक बंगले में चले जाना वहां लोग बतायेंगे।        डाक बंगले में प्रेतात्माओं को प्रतिदिन सायंकाल 8 बजे भोजन दिया जाता है। उनका भोजन सुगन्धी है। प्रेतात्मायें लिंग शरीर में होती हैं और लिंग शरीर में रहने वाली जीवात्मा का भोजन खुशबू है, सुगन्धी है। कटकर, डूबकर, जहर खाकर आदि कारणों से अकाल मृत्यु को प्राप्त होने पर जीवात्मा बची हुई स्वांसों को पूरा करने के लिए प्रेत योनि में चली जाती है। बाबा जी की कृपा से अपना भोजन पाकर प्रेतात्मा उस व्यक्ति को छोड़कर चली जाती हैं फिर व्यक्ति को आराम मिल जाता है, वह सामान्य हो जाता है।        पिछले बुधवार को भारत की राजधानी दिल्ली दहलने से बची। दिल्ली उच्च न्यायालय के गेट नम्बर 7 के समीप पार्किंग में एक कार के नीचे रखी गई प्लास्टिक थैली के विस्फोट से करीब 20 फिट तक आग की लपटें उठीं। घटना में तीन कारें क्षतिग्रस्त ...

संतमत के अभ्यासियों के लिए संयम

Jai gurudev Jai gurudev Naam Prabhu Ka A message to all members of Jai gurude ------------------------- जय गुरुदेव ------------------------------ संत मत के अभ्यासियों को इस सयमों का सम्मान रखना चाहिए जो कोई संत मत शामिल होवे और उसके अनुसार अभ्यास शुरू करे, उसको यह सयंम वास्ते दुरुस्ती से करने अभ्यास सुरत शब्द मार्ग के दरकार है| (1).  मांस आहार न करे और न कोई नशे की चीज पीवे या खावे| हुक्का पीना नशे में दाखिल नहीं है| (2).  मामूली खाने से आहिस्ता-आहिस्ता करीब चौथाई हिस्से के कम कर देवे और बहुत चिकने चुपड़े और स्वाद के भोजन ज्यादा न खावे| (3).  सोने में कुछ कमी करे यानी आम तौर पर छ : घंटे से ज्यादा न सोवे| (4).  संसारी लोगों  से जरुरत के मुआफिक (अनुसार) मेल और बर्ताव करे| उनसे ज्यादा मेल न रक्खे और बैगेर जरुरत के किसी संसारी मुआमले में दखल न देवें| (5).  संसारी पदार्थ और इन्द्रियों के भोगो की चाह फिजूल न उठावे और न उनके वास्ते फिजूल जतन करें , बल्कि जो भोग और पदार्थ मुयस्सर आवें उनमे में भी जिस कदर...

guru maharaj khitora me satsang varsha karte huye

Jai Gurudev News - 10-Feb-2011

बसन्त पंचमी के दिन अपनी जन्मस्थली खितौरा जिला इटावा लगभग बीस गाड़ियों के साथ पहुंचने पर चारों तरफ के गांवों से नर-नारियों, बच्चे-बच्चियां दर्षन के लिए जयगुरूदेव जन्मस्थली पहुंचने लगे। कल अपने संक्षिप्त संदेष में बाबा जी ने ग्रामवासियों से कहा कि महात्मा के पास आने पर रास्ता लेकर अगर कोई जीव भजन नहीं करता है और गलती करता है और बात नहीं मानता है तो उसका कर्म भुगतान कराने के लिए वे उसे फिर से मानव जन्म दिला कर कर्म भुगतान कराते हैं मगर उसकी डोर छोड़ते नहीं हैं। कभी-कभी वे उसे चैरासी लाख यानियों में से किसी योनि में भी उतार देते हैं। रामायण में गोस्वामी जी ने कागभुषुण्डि-गरूण संवाद में सब कुछ विस्तार से समझाया है। कर्मों का भुगतान कराकर यहां तक उस जीव से भजन करा लेते हैं।  कलयुग की चर्चा करते हुए कागभुषुण्डि ने कहा कि छोटे-बड़े, ऊँच-नीच, नर- नारी सब अधर्म मंे लिप्त हो जाते हैं, किसी को किसी का डर नहीं रहता है। ऐसे स्वेच्छाचारी लोग सुख की तलाष में इधर-उधर भागने लगते हैं और धर्म को छोड़कर चरित्र गवां देते हैं। फिर नियत खराब कर, धोखे-फरेब, बेइमानी से धन इकटठा कर लेते हैं और सोचत...

सबसे अधिक पापी

एक बार देवताओं की सभा हुई। अनेक विषयों पर चर्चायें हुईं। इस बात पर भी निर्णय लिया गया कि जो सबसे पापी हो उसे देवताओं की सभा में आने से रोक दिया जाए। विचार-विमर्श के बाद यह तय हुआ कि गंगा जी सबसे अधिक पापी हैं। संसार के जीव जो गंगा जी में स्नान करते हैं सबके पापों को वो ले लेती हैं। इसलिए सबसे अधिक पापी गंगा महारानी को ठहराया गया। गंगा जी अपना स्पष्टीकरण देने के लिए खड़ी हुईं और हाथ जोड़कर विनम्र भाव से बोलीं कि मैं महापापिनी नहीं हूं। देवताओं के पूछने पर उन्होंने बताया कि संसार के मलीन जीवों का पाप मैं लेती तो अवश्य हूं जो मुझमें स्नान करते हैं मगर उन पापों को अपने पास नहीं रखती हूं। मैं समस्त पापों को ले जाकर समुद्र में डाल देती हूं। गंगा महारानी पाप मुक्त घाषित हुई और देवताओं ने समुद्र को महापापी बताया। समुद्र ने जब ऊपर आये संकट को देखा तो खड़े होकर दीन भाव से बोले कि मैं बिलकुल पापी नहीं हूं। गंगा जी जिन पापों को मुझे लाकर देती हैं उन्हें मैं मेघराज (बादल) को देता हूं। इस प्रकार मैं निष्कलंक रहता हूं। देवताओं ने समुद्र देवता के स्पष्टीकरण को सुनकर अपनी सहमति दी और फिर यह नि...

होली सत्संग 18 से 23 मार्च 2011 तक मथुरा में होली 19 को जलेगी और 20 को रंग इत्यादि से खेला जायेगा...

होली सत्संग 18 से 23 मार्च 2011 तक मथुरा में होली 19 को जलेगी और 20 को रंग इत्यादि से खेला जायेगा। अपने यहां जिस प्रकार से होली खेली जायेगी-वो बताया जायेगा।  बाबा जयगुरूदेव ने प्रेमियों को संदेष देना चाहा, होली का षुभ अवसर आ रहा है। भारतवर्ष के लोग धम-धाम से होली मनाते हैं। प्रेमीजन मथुरा आते हैं और इच्छा करते हैं कि होली मथुरा में विविध रूप् से खेली जाती है, उसको भी देखें या सुनें। सुरत-षब्द, नामयोग की साधना इन सबके लिए प्रमुख है।  आप सब लोगों से प्रेम पूर्वक संदेष द्वारा ध्यान कराया जा रहा है कि होली आ रही है। आप होली केषुभ अवसर पर उसी तरह देखने को दिखाना जिस तरह भण्डारा होता है। सत्संग तो अन्दर के मण्डलों का और सुरतों के अपने घर पहुंचने का बताया जायेगा। बड़ी उत्सुकता से होली पर पहुंचें। सत्संग का समय: प्रातः 6.30 बजे से  सायं 5.00 बजे से। मथुरा आश्रम                                                                   हस्ताक्षर 07.02.2011  परम पूज्य स्वामी जी महाराज अध्यक्ष जयगुरूदेव धर्मप्रचारक संस्था एवं जयगुरूदेव धर्म प्रचारक ट्रस्ट मथुरा

बाबा जयगुरूदेव की आवाज कर्मों की गहन गति है। इसे योगी पुरूष ही समझते हैं। आपको ये नहीं बताया गया ...

बाबा जयगुरूदेव की आवाज  कर्मों की गहन गति है। इसे योगी पुरूष ही समझते हैं। आपको ये नहीं बताया गया कि मतदान देने का मतलब क्या है? मतदान यानि बुद्धि का दान। आप किसी को भी अपरा मतदान देते हैं इसका मतलब ये है कि आप उसके हर अच्छे-बुरे कर्म में समर्थन देते हैं आपने मतदान देकर लोगों को दिल्ली, लखनऊ पटना, जयपुर, भोपाल आदि स्थानों पर भेजा। अब वो तो जो भी अच्छा बुरा करेंगे तो आप को दुख भोगना पड़ेगा। इस रहस्य को आपने समझा नहीं। अब आप चिल्लाओ कोई सुनने वाला नहीं है। आपको चाहिए कि अच्छे चरित्रवान, सत्य और अहिंसावादी, निःस्वार्थ काम करने वालों को ले आते तो सुख मिलता। सुख मिलने वाला नहीं है आपको। महापुरूषों ने कहा है किः कर्म प्रधान विष्व रचि राखा जो जस करहिं सो तस फल चाखा।  अपने  लिए कर्म के अलावा मनुष्य को दूसरों के कर्मों को भी भोगना पड़ता है ऐसा ईष्वरीय विधान है। फिर कहा है किः- यह रहस्य रघुनाथ कर, वेगि न जाने कोय। से जाने जो गुरू कृपा, सपनेहुं मोह न होय।

Jaigurudev news - 7.2.2011

वर्तमान समय में सभी परेषान नजर आ रहे हैं। चाहे पैसे वाले हों, ओहदे वाले हों या सामान्य वर्ग हो, सभी के होठों पर एक ही प्रष्न है कि आगे क्या होगा। सभी में एक प्रकार का भय सा व्याप्त है, डर रहे हैं कि न जाने अब क्या होने वाला है। लोग आषंकाओं से भरे हुए  हैं, भयभीत हैं, नौकरी हो, व्यापार हो, मार्ग हो, तीर्थ स्थान हो, देवी-देवताओं के मन्दिर हों या घर चारों ओर असुरक्षा की भावना व्याप्त है। हर कहीं भय का साम्राज्य है। इसका उत्तर किससे मांगा जाए? क्या राजा से? लेकिन उनका जीवन तो सबसे अधिक असुरक्षित है, वे ही देष में सबसे अधिक सुरक्षा घेरे मंे रहते हैं। पूंजीपति भी डरे हैं और ओहदे वाले भी डरे हुए हैं। तो क्या इसका उत्तर साधरण जनता या गरीब किसान देंगे? नहीं, क्योंकि वे तो स्वयं ही त्रसित हैं। बाबा जयगुरूदेव की आवाज  कर्मों की गहन गति है। इसे योगी पुरूष ही समझते हैं। आपको ये नहीं बताया गया कि मतदान देने का मतलब क्या है? मतदान यानि बुद्धि का दान। आप किसी को भी अपरा मतदान देते हैं इसका मतलब ये है कि आप उसके हर अच्छे-बुरे कर्म में समर्थन देते हैं आपने मतदान देकर लोगों को दिल्ली, ल...

बाबा जयगुरूदेव जी का संदेष भारत का जनमानुष आध्यात्मिक वायुमण्डल में पलता है। हर इंसान में रहम और ...

बाबा जयगुरूदेव जी का संदेष  भारत का जनमानुष आध्यात्मिक वायुमण्डल में पलता है। हर इंसान में रहम और दया की झलक मिलती है। श्रद्धा सेवा का प्रदर्षन है। कुछ सेवा मन से, बुद्धि से, तन से अन्य किसी चीज से की जाए तो ये श्रद्धा का, खुषी का सौदा है। इसको कोई रोक नहीं सकता। मनुष्य को खेषी उस समय होती है जब श्रद्धा से कोई सेवा करता है। जबर्दस्ती सेवा कराने वाला फिर उससे सबकी अश्रद्धा हो जाती है। इसको सोचो कि भारत वर्ष ऋषियों-मुनियों का, ज्ञानी-विज्ञानीयों का देष है। चोर का अन्न खाओगे तो चोर की बुद्धि बनेगी, हत्या करने वाले का अन्न खाओगे तो हत्या की बुद्धि बनेगी, जालिम का अन्न खाओगे तो जालिक हो जाओगे। झूठे चुगल खोरों का अन्न खाओगे तो चोर-चुगल की बुद्धि हो जाएगी, क्रोधियों का अन्न खाओगे तो क्रोध तुममे उमड़ पड़ेगा।षराब पीने वालों का अन्न खाओगे तोषराब पीने लगोगे। जैसी सोहबत करोगे वैसा ही असर होगा। अच्छो की सोहबत करोगे तो अच्छा असर और बुरों की सोहबत का बुरा असर।

Jaigurudev Samachar Date : 18-Jan-2011

कल पूर्णमासी है। परम पूज्य बाबा जयगुरूदेव जी महाराज मथुरा में रहेंगे ऐसी सम्भावना है, अतः सत्संग मिलने की लालसा में बहुत से प्रेमी कई जिलों व प्रान्तों से आज राज तक मथुरा पहुंच जाऐंगे ऐसी सूचनायें मिल रही हैं। बाबा जी ने प्रेमियों से कहा है कि समय की कदर करनी चाहिए। चूक जाने पर पछतावा ही होता है। मालिक की दया हो रही है। थोड़ा मन को रोककर भजन-ध्यान में बैठोगे तो अनुभव अवश्य होगा। ऊपर में बड़े-बड़े मण्डल हैं जहां जीवात्मायें रहती हैं। स्वर्ग है, बैकुण्ठ है, शक्तिलोक हैं, ईश्वरलोक है, ब्रह्मलोक है। उधर अन्धेरा नहीं है प्रकाश ही प्रकाश है। सुरत (जीवात्मा) जब शरीर से अलग होकर उन लोकों में भ्रमण करती है तब उसे सच्चा आनन्द प्राप्त होता है। इसी को जीते जी मरना कहते हैं। करोगे तो पाओगे, नहीं करोगे तो नहीं पाओगे। स्विटजरलैण्ड के बैंकों में राजनेताओं, व्यावसायियों आदि के अकल्पित धन जमा हैं जिसके बारे में विकिलीक्स वेबसाइट पर जल्द ही देखने को मिल सकता है ऐसी सूचनायंे पत्रिकाओं के माध्यम से मिलती रहती हैं। इस मामले में अन्य देशों की अपेक्षा भारत के लोगों का धन सर्वाधिक है। बाबा जयगुरूदेव जी की आ...

Jaigurudev Samachar Date : 14-Jan-2011

आज मकर सक्रांती का पर्व है। प्राप्त जानकारी के अनुसार परम पूज्य बाबा जयगुरूदेव जी महाराज की आज दिन में 3 बजे सत्संग की मौज है। सत्संगी-प्रेमी समय से पधार सकते हैं। आज का यह वह समय है जब भ्रष्टाचार, घोटाले पर हर दिन कुछ न कुछ सुनने को मिलता है। ज्यादातर यह आरोप-प्रत्यारोप की षक्ल में ही होता है। स्वार्थ की लड़ाई बहिर्मुखी है लेकिन परमार्थ की लड़ाई अन्तरमुखी है और अपने आप से लड़ाई करनी पड़ती है। दूसरों से तू-तू, मैं-मैं कर लेना, भली-बुरी, खरी-खोटी सुन लेना और सुना देना तो आसान है लेकिन अपने षीषे में आगे खड़े होकर अपने आप को सुधारना बहुत कठिन है। इसीलिए कबीर साहब ने कहा किः- षीष उतारे भुइं धरे, तब पैठे घर माहिं। आज चारों तरफ संघर्ष ही संघर्ष है और राजनीति तो संघर्ष का अखाड़ा बन गई। ‘‘तूने 2 जी घोटाला किया’’ तो दूसरा कहता है कि ‘‘तूने आदर्ष घोटाला किया’’ कोई कहता है कि ‘बोफौर्स घोटाला किया’’ तो कहीं खेल घोटाले का षोरगुल है। अब राजनीति इस बात पर आकर अटक गई है कि ‘तू कहे मेरी मैं कहूं तेरी’। जो कुछ हो रहा है वो सब खबरों में जनता जनार्दन सुन रही है और समझ रही है। अब फैसला जनता जनार्दन क...