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बाबा जयगुरूदेव जी का संदेष भारत का जनमानुष आध्यात्मिक वायुमण्डल में पलता है। हर इंसान में रहम और ...


बाबा जयगुरूदेव जी का
संदेष


 भारत का जनमानुष आध्यात्मिक वायुमण्डल में पलता है। हर इंसान में रहम और
दया की झलक मिलती है। श्रद्धा सेवा का प्रदर्षन है। कुछ सेवा मन से, बुद्धि से, तन
से अन्य किसी चीज से की जाए तो ये श्रद्धा का, खुषी का सौदा है। इसको कोई रोक नहीं
सकता। मनुष्य को खेषी उस समय होती है जब श्रद्धा से कोई सेवा करता है। जबर्दस्ती
सेवा कराने वाला फिर उससे सबकी अश्रद्धा हो जाती है। इसको सोचो कि भारत वर्ष
ऋषियों-मुनियों का, ज्ञानी-विज्ञानीयों का देष है। चोर का अन्न खाओगे तो चोर की
बुद्धि बनेगी, हत्या करने वाले का अन्न खाओगे तो हत्या की बुद्धि बनेगी, जालिम का
अन्न खाओगे तो जालिक हो जाओगे। झूठे चुगल खोरों का अन्न खाओगे तो चोर-चुगल की
बुद्धि हो जाएगी, क्रोधियों का अन्न खाओगे तो क्रोध तुममे उमड़ पड़ेगा।षराब पीने
वालों का अन्न खाओगे तोषराब पीने लगोगे। जैसी सोहबत करोगे वैसा ही असर होगा। अच्छो
की सोहबत करोगे तो अच्छा असर और बुरों की सोहबत का बुरा असर।






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