जयगुरूदेव समाचार
मथुरा 29 मई 2011.
जयगुरूदेव आश्रम मथुरा में आजकल अत्यधिक सुन्दर भवन निर्माण कार्य चल
रहा है। कौन से मेहमान इसमें ठहरेंगे इसका अनुमान किसी को नहीं है।
कुछ वर्ष पहले बाबा जी मन्दिर मैदान में मंच से पश्चिम की तरफ इशारा
करते हुए कहा था कि बड़े-बड़े मुल्कों के राष्ट्राध्यक्ष हेलीकॉप्टर से उधर
आयेंगे और समय लेकर मुझसे बात करेंगे।
बाबा जी ने कहा कि विचार करो कि मनुष्य का खून अनाज, सब्जी, फलों, दूध,
घी से तैयार होता है। भैंस, गाय, सूअर, खरगोश, हिरण, मुर्गा, बतख आदि
जानवरों का खून मनुष्य के खून से अलग होता है। जो भी मनुष्य मांस भक्षण
करते हैं, इनका मांस खाते हैं तो उनके खून में जानवरों का खून मिल जाएगा।
जब ज्यादा मात्रा में पशु-पक्षियों का खून हो जाएगा तो जो भी दवायें दी
जाती हैं मनुष्य को असर नहीं करेंगी। दवा तो मनुष्य के खून की दी जाती
है। जानवरों के खून की अलग दवा है, वह पशु-पक्षियों को ही दी जाती है।
जानवरों की दवा यदि मनुष्यों को दे दी जाए तो मनुष्य का खून खत्म हो
जाएगा, जानवरों का खून रह जाएगा। पशु-पक्षियों और कीड़ों के खून के कीटाणु
यानि जर्म्स अलग होते हैं। मनुष्य के खून के कीटाणू अलग होते हैं। जब पशु
खून को मनुष्य खाएगा तो पशुओं के खून के कीटाणु और मनुष्य के खून के
कीटाणु इन दोनों में संघर्ष हो जाता है, घमासान होता है। पशुओं के खून के
कीटाणु, मनुष्य के खून के कीटाणुओं को खा जाते हैं या हरा देते हैं,
कमजोर कर देते हैं। इनका कोई असर जानवरों के कीटाणुओं पर नहीं होता है।
भारत के डॉक्टर अलग-अलग दवा बनाते हैं। पशुओं की दवा अलग है, पक्षियों की
दवा अलग है, अन्य कीटाणुओं की अलग है और मनुष्य की अलग है। बस इस पर सब
लोग विचार कर लो कि इतनी बीमारियाँ क्यों फैल गईं और डॉक्टर उनकी दवा से
परेशान हैं कि हमारी दवा का कोई लाभ नहीं, इसका कारण क्या है ? इसका कारण
जो ऊपर बयान किया है, यह है।
मथुरा 29 मई 2011.
जयगुरूदेव आश्रम मथुरा में आजकल अत्यधिक सुन्दर भवन निर्माण कार्य चल
रहा है। कौन से मेहमान इसमें ठहरेंगे इसका अनुमान किसी को नहीं है।
कुछ वर्ष पहले बाबा जी मन्दिर मैदान में मंच से पश्चिम की तरफ इशारा
करते हुए कहा था कि बड़े-बड़े मुल्कों के राष्ट्राध्यक्ष हेलीकॉप्टर से उधर
आयेंगे और समय लेकर मुझसे बात करेंगे।
बाबा जी ने कहा कि विचार करो कि मनुष्य का खून अनाज, सब्जी, फलों, दूध,
घी से तैयार होता है। भैंस, गाय, सूअर, खरगोश, हिरण, मुर्गा, बतख आदि
जानवरों का खून मनुष्य के खून से अलग होता है। जो भी मनुष्य मांस भक्षण
करते हैं, इनका मांस खाते हैं तो उनके खून में जानवरों का खून मिल जाएगा।
जब ज्यादा मात्रा में पशु-पक्षियों का खून हो जाएगा तो जो भी दवायें दी
जाती हैं मनुष्य को असर नहीं करेंगी। दवा तो मनुष्य के खून की दी जाती
है। जानवरों के खून की अलग दवा है, वह पशु-पक्षियों को ही दी जाती है।
जानवरों की दवा यदि मनुष्यों को दे दी जाए तो मनुष्य का खून खत्म हो
जाएगा, जानवरों का खून रह जाएगा। पशु-पक्षियों और कीड़ों के खून के कीटाणु
यानि जर्म्स अलग होते हैं। मनुष्य के खून के कीटाणू अलग होते हैं। जब पशु
खून को मनुष्य खाएगा तो पशुओं के खून के कीटाणु और मनुष्य के खून के
कीटाणु इन दोनों में संघर्ष हो जाता है, घमासान होता है। पशुओं के खून के
कीटाणु, मनुष्य के खून के कीटाणुओं को खा जाते हैं या हरा देते हैं,
कमजोर कर देते हैं। इनका कोई असर जानवरों के कीटाणुओं पर नहीं होता है।
भारत के डॉक्टर अलग-अलग दवा बनाते हैं। पशुओं की दवा अलग है, पक्षियों की
दवा अलग है, अन्य कीटाणुओं की अलग है और मनुष्य की अलग है। बस इस पर सब
लोग विचार कर लो कि इतनी बीमारियाँ क्यों फैल गईं और डॉक्टर उनकी दवा से
परेशान हैं कि हमारी दवा का कोई लाभ नहीं, इसका कारण क्या है ? इसका कारण
जो ऊपर बयान किया है, यह है।
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