कहावत है कि 'अति सर्वत्र वर्जयेत'। आज देश की राजनीति में हर प्रकार की
और हर क्षेत्र में अति हो गई है तो अब यह निश्चित है कि कुछ न कुछ होगा।
जब रावण के आंतक से त्रेता युग में ऋषि, मुनि, देवता सब बुरी तरह त्रस्त
हो गए थे तो उनकी अन्तरआत्मा से यही आवाज निकली किः-
अब जनि राम खेलावहु येही
अर्थात उन्होंने भगवान राम से प्रार्थना किया अब इसे मार दो ताकि आतंक
मिट जाए।
गुरू पूर्णिमा का सत्संग कार्यक्रम 12 से 16 जुलाई तक होगा और तैयारियां
जोरों के साथ मथुरा में हो रही हैं। सभी लोगों को शाकाहारी होने का
प्रचार करने का आदेश बाबा जी ने प्रेमियों को दिया है उसमें बाबा जी का
कुछ संकल्प है जीवों को नर्कों और चौरासी में जाने से बचाने के लिए। बाबा
जी ने कहा था किः-
सतयुग आ रहा है और कलयुग जा रहा है। जिस समय दोनों की टक्कर होगी उसमें
बीसों करोड़ लोग साफ हो जायेंगे।
बाबा जी ने कहा
सत्संगी अपनी निरख-परख बराबर करते रहें। काल का जोर चल रहा है। सबको
सत्संगी नहीं समझना नहीं चाहिए। ऐसी-ऐसी तरंगें और अच्छायें लेकर लोग आते
हैं कि पूरी नहीं हुईं तो चले जाते हैं। सत्संग में धैर्य से रहो, वचनों
को याद करते रहो। धीरज खो दिया, जल्दबाजी की तो चले जाओगे। संत समर्थ हैं
और सब कुछ कर सकते हैं पर वो सदा अनुकूलता में रहते हैं और धीरे-धीरे
सबको प्रेम के बन्धन में बांधते हैं। उनका निस्वार्थ प्रेम होता है और
तुम उनसे प्रेम करोगे तो हर वक्त माहौल अच्छा बना रहेगा।
महात्माओं ने कहा है कि
तप से चूके राज मिलत है , राज से चूके नरका।
बड़े-बड़े राजे-महाराजे, बादशाह अभी नर्कों में मार खा रहे हैं। उन्हें
यातनायें भोगते-भोगते कितने युग बीत गए और अभी तक नर्कों से बाहर नहीं
निकले। बिना संत सतगुरू के कोई भी हस्ती जीवों को बचा नहीं सकती है।
औतारी शक्तियां कुछ नहीं कर सकतीं। वो कहती हैं कि अच्छा-बुूरा करो तुम
कर्म करने में स्वतंत्र हो किन्तु अच्छे-बुरे कर्मों का फल हम देंगे।
और हर क्षेत्र में अति हो गई है तो अब यह निश्चित है कि कुछ न कुछ होगा।
जब रावण के आंतक से त्रेता युग में ऋषि, मुनि, देवता सब बुरी तरह त्रस्त
हो गए थे तो उनकी अन्तरआत्मा से यही आवाज निकली किः-
अब जनि राम खेलावहु येही
अर्थात उन्होंने भगवान राम से प्रार्थना किया अब इसे मार दो ताकि आतंक
मिट जाए।
गुरू पूर्णिमा का सत्संग कार्यक्रम 12 से 16 जुलाई तक होगा और तैयारियां
जोरों के साथ मथुरा में हो रही हैं। सभी लोगों को शाकाहारी होने का
प्रचार करने का आदेश बाबा जी ने प्रेमियों को दिया है उसमें बाबा जी का
कुछ संकल्प है जीवों को नर्कों और चौरासी में जाने से बचाने के लिए। बाबा
जी ने कहा था किः-
सतयुग आ रहा है और कलयुग जा रहा है। जिस समय दोनों की टक्कर होगी उसमें
बीसों करोड़ लोग साफ हो जायेंगे।
बाबा जी ने कहा
सत्संगी अपनी निरख-परख बराबर करते रहें। काल का जोर चल रहा है। सबको
सत्संगी नहीं समझना नहीं चाहिए। ऐसी-ऐसी तरंगें और अच्छायें लेकर लोग आते
हैं कि पूरी नहीं हुईं तो चले जाते हैं। सत्संग में धैर्य से रहो, वचनों
को याद करते रहो। धीरज खो दिया, जल्दबाजी की तो चले जाओगे। संत समर्थ हैं
और सब कुछ कर सकते हैं पर वो सदा अनुकूलता में रहते हैं और धीरे-धीरे
सबको प्रेम के बन्धन में बांधते हैं। उनका निस्वार्थ प्रेम होता है और
तुम उनसे प्रेम करोगे तो हर वक्त माहौल अच्छा बना रहेगा।
महात्माओं ने कहा है कि
तप से चूके राज मिलत है , राज से चूके नरका।
बड़े-बड़े राजे-महाराजे, बादशाह अभी नर्कों में मार खा रहे हैं। उन्हें
यातनायें भोगते-भोगते कितने युग बीत गए और अभी तक नर्कों से बाहर नहीं
निकले। बिना संत सतगुरू के कोई भी हस्ती जीवों को बचा नहीं सकती है।
औतारी शक्तियां कुछ नहीं कर सकतीं। वो कहती हैं कि अच्छा-बुूरा करो तुम
कर्म करने में स्वतंत्र हो किन्तु अच्छे-बुरे कर्मों का फल हम देंगे।
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