जयगुरूदेव समाचार
मथुरा 25 अगस्त 2011.
कहा गया है किः-
क्या होगा कौन से पल में कोई जाने न।
आसमान के ऊपर देवताओं की पार्लियामैंट में इस मृत्युलोक की चर्चायें हो
रही हैं। रास्ता इस मनुष्य शरीर में दोनों आंखों के ऊपर से गया है। नारद
जी इसी रास्ते से रोज ऊपर जाकर ब्रह्म, विष्णु, महादेव आदि देवताओं से
मिलते थे। आज भी बाबा जयगुरूदेव जी महाराज के प्रेमी जो साधना में ऊपर के
लोकों स्वर्ग, बैकुण्ठ, ईश्वरधाम आदि का सफर करते हैं कहते हैं कि कुदरत
अब लोगों को सजा देना चाहती है। धरती पर पाप, हत्या, अत्याचार अपनी
सीमायें पार कर गया है। लेकिन महात्माओं से हरी झण्डी नहीं मिल रही है
इसलिए वे मजबूर हैं। जिस समय उनका इशारा होगा उसी क्षण रात को कुछ और
सुबह कुछ नजारा होगा।
दिल्ली के सावन आश्रम के संत कृपालसिंह जी महाराज के एक साधक ने अपनी
रचना में सुनाया किः-
थे चरचे आसमानों में, जमीं वालों का क्या होगा ?
सदा आई खुदा खुद जाएगा, खुद रहनुमा होगा।
तो पूछा कैसे जाएगा, खुदा बन्दों की बस्ती में ?
जवाब आया कि, बन्दों के लिए बन्दा बना होगा।
तो पूछा कैसे पहचानेंगे बन्दे, तो जवाब आया।
वो यक्ता हुस्न में होगा, व औरों से जु़दा होगा।
गुन्हगारों पे जो वाजिब सजा है उसका क्या होगा ?
कहा वो बख्श दे रहमत से उन सबको तो क्या होगा ?
बाबा जयगुरूदेव जी महाराज की रचना
जगेगा भारत, जगेगा भारत, भारत जगाने आ रहा।
आओ प्यारे, आओ प्यारे जमाने बदलने जा रहा।
समय से आओ, समय से आओ, समय तुम्हारा आ रहा।
बिगड़ चुके तुम, बिगड़ चुके तुम, बनाने तुमको आ रहा।
दुःखी हो तुम, दुखी हो तुम, दुख तुम्हारा छुड़ाने आ रहा।
लड़ मरे तुम, लड़ मरे तुम, मिलाने तुमको आ रहा।
सरधा भाव सब खो चुके तुम, तुमको दिलाने आ रहा।
प्रेम तुम्हारा सो चुका, प्रेम तुम्हारा जगाने आ रहा।।
आपस के प्रेम सब जा चुके, उन प्रेमों को देने आ रहा।
पापों के बोझ थे जो न उठा सके, उन बोझों को उठाने आ रहा।
ईश्वर भक्ति जिनसे जा चुकी, उनको भक्ति दिलाने आ रहा।
पुरूष सोऐ, सोई नारियां, उनको जगाने आ रहा।
बिगड़ चुके खान-पान, इनको सुधारने आ रहा।
पीते हो जो सुल्फा शराब, इनको छुड़ाने आ रहा।
बिगड़ी जो तुम्हारी आदतें, इनको बदलने आ रहा।
झगड़े जो तुम्हारे घर-घर के, इनको खत्म कराने आ रहा।
जिन करमों को तू पहचान न सके, उनको पहचान कराने आ रहा।
गुरू भक्ति से तुम हो दूर, वह गुरू भक्ति दिलाने आ रहा।
देश-विदेश के सभी सत्संगी शुद्ध आहार, शाकाहारी जीवन बीताने के संदेश
को जन-जन तक पहुंचा दें। साथ ही भजन, घ्यान, सुमिरन रोज-रोज नियम से
करें। मन को रोककर साधना करेंगे तो 15-20 दिनों में जीवात्मा की आंख जिसे
तीसरी आंख, दिव्य दृष्टि कहते हैं खुल जाएगी और जीवात्मा दिव्य लोकों में
जाकर देवी-देवताओं से मिलने लगेगी। पिछले युगों में आत्माओं के लिए छूट
नहीं थी किन्तु कलयुग के इस मलीन समय में परमार्थ का रास्ता महात्माओं ने
सरल कर दिया है।
मथुरा 25 अगस्त 2011.
कहा गया है किः-
क्या होगा कौन से पल में कोई जाने न।
आसमान के ऊपर देवताओं की पार्लियामैंट में इस मृत्युलोक की चर्चायें हो
रही हैं। रास्ता इस मनुष्य शरीर में दोनों आंखों के ऊपर से गया है। नारद
जी इसी रास्ते से रोज ऊपर जाकर ब्रह्म, विष्णु, महादेव आदि देवताओं से
मिलते थे। आज भी बाबा जयगुरूदेव जी महाराज के प्रेमी जो साधना में ऊपर के
लोकों स्वर्ग, बैकुण्ठ, ईश्वरधाम आदि का सफर करते हैं कहते हैं कि कुदरत
अब लोगों को सजा देना चाहती है। धरती पर पाप, हत्या, अत्याचार अपनी
सीमायें पार कर गया है। लेकिन महात्माओं से हरी झण्डी नहीं मिल रही है
इसलिए वे मजबूर हैं। जिस समय उनका इशारा होगा उसी क्षण रात को कुछ और
सुबह कुछ नजारा होगा।
दिल्ली के सावन आश्रम के संत कृपालसिंह जी महाराज के एक साधक ने अपनी
रचना में सुनाया किः-
थे चरचे आसमानों में, जमीं वालों का क्या होगा ?
सदा आई खुदा खुद जाएगा, खुद रहनुमा होगा।
तो पूछा कैसे जाएगा, खुदा बन्दों की बस्ती में ?
जवाब आया कि, बन्दों के लिए बन्दा बना होगा।
तो पूछा कैसे पहचानेंगे बन्दे, तो जवाब आया।
वो यक्ता हुस्न में होगा, व औरों से जु़दा होगा।
गुन्हगारों पे जो वाजिब सजा है उसका क्या होगा ?
कहा वो बख्श दे रहमत से उन सबको तो क्या होगा ?
बाबा जयगुरूदेव जी महाराज की रचना
जगेगा भारत, जगेगा भारत, भारत जगाने आ रहा।
आओ प्यारे, आओ प्यारे जमाने बदलने जा रहा।
समय से आओ, समय से आओ, समय तुम्हारा आ रहा।
बिगड़ चुके तुम, बिगड़ चुके तुम, बनाने तुमको आ रहा।
दुःखी हो तुम, दुखी हो तुम, दुख तुम्हारा छुड़ाने आ रहा।
लड़ मरे तुम, लड़ मरे तुम, मिलाने तुमको आ रहा।
सरधा भाव सब खो चुके तुम, तुमको दिलाने आ रहा।
प्रेम तुम्हारा सो चुका, प्रेम तुम्हारा जगाने आ रहा।।
आपस के प्रेम सब जा चुके, उन प्रेमों को देने आ रहा।
पापों के बोझ थे जो न उठा सके, उन बोझों को उठाने आ रहा।
ईश्वर भक्ति जिनसे जा चुकी, उनको भक्ति दिलाने आ रहा।
पुरूष सोऐ, सोई नारियां, उनको जगाने आ रहा।
बिगड़ चुके खान-पान, इनको सुधारने आ रहा।
पीते हो जो सुल्फा शराब, इनको छुड़ाने आ रहा।
बिगड़ी जो तुम्हारी आदतें, इनको बदलने आ रहा।
झगड़े जो तुम्हारे घर-घर के, इनको खत्म कराने आ रहा।
जिन करमों को तू पहचान न सके, उनको पहचान कराने आ रहा।
गुरू भक्ति से तुम हो दूर, वह गुरू भक्ति दिलाने आ रहा।
देश-विदेश के सभी सत्संगी शुद्ध आहार, शाकाहारी जीवन बीताने के संदेश
को जन-जन तक पहुंचा दें। साथ ही भजन, घ्यान, सुमिरन रोज-रोज नियम से
करें। मन को रोककर साधना करेंगे तो 15-20 दिनों में जीवात्मा की आंख जिसे
तीसरी आंख, दिव्य दृष्टि कहते हैं खुल जाएगी और जीवात्मा दिव्य लोकों में
जाकर देवी-देवताओं से मिलने लगेगी। पिछले युगों में आत्माओं के लिए छूट
नहीं थी किन्तु कलयुग के इस मलीन समय में परमार्थ का रास्ता महात्माओं ने
सरल कर दिया है।
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