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Showing posts from January, 2011

Jaigurudev Samachar Date : 18-Jan-2011

कल पूर्णमासी है। परम पूज्य बाबा जयगुरूदेव जी महाराज मथुरा में रहेंगे ऐसी सम्भावना है, अतः सत्संग मिलने की लालसा में बहुत से प्रेमी कई जिलों व प्रान्तों से आज राज तक मथुरा पहुंच जाऐंगे ऐसी सूचनायें मिल रही हैं। बाबा जी ने प्रेमियों से कहा है कि समय की कदर करनी चाहिए। चूक जाने पर पछतावा ही होता है। मालिक की दया हो रही है। थोड़ा मन को रोककर भजन-ध्यान में बैठोगे तो अनुभव अवश्य होगा। ऊपर में बड़े-बड़े मण्डल हैं जहां जीवात्मायें रहती हैं। स्वर्ग है, बैकुण्ठ है, शक्तिलोक हैं, ईश्वरलोक है, ब्रह्मलोक है। उधर अन्धेरा नहीं है प्रकाश ही प्रकाश है। सुरत (जीवात्मा) जब शरीर से अलग होकर उन लोकों में भ्रमण करती है तब उसे सच्चा आनन्द प्राप्त होता है। इसी को जीते जी मरना कहते हैं। करोगे तो पाओगे, नहीं करोगे तो नहीं पाओगे। स्विटजरलैण्ड के बैंकों में राजनेताओं, व्यावसायियों आदि के अकल्पित धन जमा हैं जिसके बारे में विकिलीक्स वेबसाइट पर जल्द ही देखने को मिल सकता है ऐसी सूचनायंे पत्रिकाओं के माध्यम से मिलती रहती हैं। इस मामले में अन्य देशों की अपेक्षा भारत के लोगों का धन सर्वाधिक है। बाबा जयगुरूदेव जी की आ

Jaigurudev Samachar Date : 14-Jan-2011

आज मकर सक्रांती का पर्व है। प्राप्त जानकारी के अनुसार परम पूज्य बाबा जयगुरूदेव जी महाराज की आज दिन में 3 बजे सत्संग की मौज है। सत्संगी-प्रेमी समय से पधार सकते हैं। आज का यह वह समय है जब भ्रष्टाचार, घोटाले पर हर दिन कुछ न कुछ सुनने को मिलता है। ज्यादातर यह आरोप-प्रत्यारोप की षक्ल में ही होता है। स्वार्थ की लड़ाई बहिर्मुखी है लेकिन परमार्थ की लड़ाई अन्तरमुखी है और अपने आप से लड़ाई करनी पड़ती है। दूसरों से तू-तू, मैं-मैं कर लेना, भली-बुरी, खरी-खोटी सुन लेना और सुना देना तो आसान है लेकिन अपने षीषे में आगे खड़े होकर अपने आप को सुधारना बहुत कठिन है। इसीलिए कबीर साहब ने कहा किः- षीष उतारे भुइं धरे, तब पैठे घर माहिं। आज चारों तरफ संघर्ष ही संघर्ष है और राजनीति तो संघर्ष का अखाड़ा बन गई। ‘‘तूने 2 जी घोटाला किया’’ तो दूसरा कहता है कि ‘‘तूने आदर्ष घोटाला किया’’ कोई कहता है कि ‘बोफौर्स घोटाला किया’’ तो कहीं खेल घोटाले का षोरगुल है। अब राजनीति इस बात पर आकर अटक गई है कि ‘तू कहे मेरी मैं कहूं तेरी’। जो कुछ हो रहा है वो सब खबरों में जनता जनार्दन सुन रही है और समझ रही है। अब फैसला जनता जनार्दन क