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Showing posts from September, 2011

Guru Maharaj Pics

jaigurudev news-8.9.11

जयगुरूदेव समाचार मथुरा 8 सितम्बर 2011.        परम पूज्य बाबा जयगुरूदेव जी महाराज के आदेश से जगह-जगह सत्संगी-प्रेमी स्त्री-पुरूष व बच्चे-बच्चियां शाकाहारी कमीज़ पहनकर चारों तरफ प्रतिदिन भारत में फेरियां निकाल रहे हैं, नारे लगा रहे हैं किः- क्या खाने से हुए खराब, अण्डा, मछली मांस शराब। क्या खाने से होगी भलाई, साग, सब्जी, दूध, मलाई।        भारत में सत्ता पर काबिज रहने का संघर्ष चल रहा है। माया का खेल और उसकी बौखलाहट चरम सीमा पर है। देवता लोग उस प्रभु से प्रार्थना कर रहे हैं कि रावणों के खेल  को समाप्त करो ताकि जनता सुखमय जीवन बिताने के लिए एक नए युग में प्रवेश कर सके। देवताओं ने त्रेता में भी भगवान राम से यही प्रार्थना कि थी किः-? ''अब जनि राम खेलावहु येही।''        अर्थात रावण का वध कर दो ताकि जनता आतंकवाद के चुंगल से निकल जाए। बाबा जयगुरूदेव जी महाराज के शब्दों मेंः- ''पहले तो एक रावण था और अब तो घर-घर में रावण हैं और सभी रावण मारे जायेंगे।'' बाबा जी की भूली-बिसरी बातें        क्या कोई रोगी किसी पुराने जमाने के प्रसिद्ध वैद्य,हकीम से

बंदरो की किस्मत - एक प्रेमी का संस्मरण

  एक बार स्वामी जी महाराज बबराला गये जो जिला बँदायू मेँ पङता है । उन दिनोँ आर. बी. लाल साहब कस्टम एंड सेँट्रल एक्साइज मेँ इंसपेक्टर थे । उनके मकान पर स्वामी जी रुके थे । दोपहर मेँ स्वामी जी के साथ मैँ छत पर बैठा था । इतने मेँ दो चार बंदर आकर किनारे बैठ गये । स्वामी जी उनको देखते रहे फिर मुझसे बोले कि नीँचे जाकर इनके लिए कुछ खाने को ले आओ । एक झोले मेँ भूने चने रखे थे जिसे बहन जी ने मुझे दिया और मैने उसे लाकर स्वामी जी को दे दिया । स्वामी जी ने झोले से एक मुट्ठी चना निकाला और एक बंदर की तरफ दिखा कर बोले कि ले । वो बंदर कुछ देर तक तो स्वामी जी को देखता रहा फिर धीरे धीरे पास आया । स्वामी जी की मुट्ठी से उसने कुछ दाने निकालकर खाये फिर धीरे से स्वामी जी ने मुट्ठी बंद कर ली । फिर बंदर स्वामी जी की मुट्ठी खोलने लगा और स्वामी जी की तरफ देख कर कुछ कहता । मैँ डर गया कि कहीँ बंदर स्वामी जी को काट न ले । मेरा दिल धक धक कर रहा था । मैँने सोचा कि एक डंडा ले आऊँ । इतने मेँ स्वामी जी ने कहा कि चुपचाप बैठे रहो वर्ना ये सब तुमको काट लेँगे । इतनी देर मेँ 30-40 बंदर सभी छत पर आ गये । स्वामी जी एक-एक को ब

केवल भक्ति पियार

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