जयगुरूदेव समाचार
मथुरा 27 मई 2011.
उत्तर प्रदेश के एक गांव की लड़की के ऊपर किसी छाया का प्रभाव होने के
कारण परेशान होकर उसके माता-पिता जयगुरूदेव आश्रम, मथुरा पहुंचे और बाबा
जी से दया की भीख मांगी। बाबा जी ने कहा कि शाम को डाक बंगले में चले
जाना वहां लोग बतायेंगे।
डाक बंगले में प्रेतात्माओं को प्रतिदिन सायंकाल 8 बजे भोजन दिया जाता
है। उनका भोजन सुगन्धी है। प्रेतात्मायें लिंग शरीर में होती हैं और लिंग
शरीर में रहने वाली जीवात्मा का भोजन खुशबू है, सुगन्धी है। कटकर, डूबकर,
जहर खाकर आदि कारणों से अकाल मृत्यु को प्राप्त होने पर जीवात्मा बची हुई
स्वांसों को पूरा करने के लिए प्रेत योनि में चली जाती है। बाबा जी की
कृपा से अपना भोजन पाकर प्रेतात्मा उस व्यक्ति को छोड़कर चली जाती हैं फिर
व्यक्ति को आराम मिल जाता है, वह सामान्य हो जाता है।
पिछले बुधवार को भारत की राजधानी दिल्ली दहलने से बची। दिल्ली उच्च
न्यायालय के गेट नम्बर 7 के समीप पार्किंग में एक कार के नीचे रखी गई
प्लास्टिक थैली के विस्फोट से करीब 20 फिट तक आग की लपटें उठीं। घटना में
तीन कारें क्षतिग्रस्त हुईं। दिल्ली में सतर्कता बढ़ा दी गई है और प्रमुख
स्थानों पर चौकसी है। आत्मघाती हमले के लिए 1200 आतंकवादी घुसपैठ करने के
लिए तैयार हैं। विदेश यात्रा पर जाने से पहले प्रधानमंत्री को जानकारी दे
दी गई है। भारत पर खतरा मंडरा रहा है। जनता राष्ट्रपति का हस्तक्षेप
चाहती है।
सत्संग में बाबा जी ने बताया कि-जैसे इस दुनियां में कानून और व्यवस्था
बनाए रखने के लिए पुलिस होती है और अपराधीयों को दण्ड देती है उसी प्रकार
इस आसमान के ऊपर धर्मराज का दरबार लगता है जहां मृत्यु के बाद जीवों का
इन्साफ होता है। यमदूत सिपाही समय पूरा होने पर जीवात्मा को शरीर से
निकालकर बाहर करते हैं फिर उन्हें यमराज की कचहरी में इन्साफ के लिए पेश
करते हैं। मौत के समय इन्सान बोल नहीं सकता और मोह में आंसू छल-छल आंखों
से गिरते रहते हैं। यमदूत जुबान एैंठ देते हैं फिर भी प्राण इस शरीर को
छोड़कर बाहर नहीं निकलते। यह कर्मों की बड़ी दर्दनाक प्रतिक्रिया है।
जीव जब विशेष आसक्ति में पड़ा रहता है तो कदापि शरीर नहीं छोड़ना चाहता तब
यमदूत ऐसी पीड़ा उत्पन्न कर देते हैं जिसमें जीव को एक साथ हजार बिच्छू
डंक मारने की सी असहनीय पीड़ा होने लगती है। मार, त्रास और भय से जीव
बेहोश हो जाता है फिर उसे बांधकर बड़ी क्रूरता के साथ यमराज के पास ले
जाते हैं। यमदूतों का लिंग शरीर होता है और मौत के समय जीवात्मा भी इस
शरीर को छोड़कर लिंग शरीर धारण कर लेती है। जिन साधकों की दिव्य दृष्टी
खुली होती है वो इन सभी दृश्यों को देखते रहते हैं।
मथुरा 27 मई 2011.
उत्तर प्रदेश के एक गांव की लड़की के ऊपर किसी छाया का प्रभाव होने के
कारण परेशान होकर उसके माता-पिता जयगुरूदेव आश्रम, मथुरा पहुंचे और बाबा
जी से दया की भीख मांगी। बाबा जी ने कहा कि शाम को डाक बंगले में चले
जाना वहां लोग बतायेंगे।
डाक बंगले में प्रेतात्माओं को प्रतिदिन सायंकाल 8 बजे भोजन दिया जाता
है। उनका भोजन सुगन्धी है। प्रेतात्मायें लिंग शरीर में होती हैं और लिंग
शरीर में रहने वाली जीवात्मा का भोजन खुशबू है, सुगन्धी है। कटकर, डूबकर,
जहर खाकर आदि कारणों से अकाल मृत्यु को प्राप्त होने पर जीवात्मा बची हुई
स्वांसों को पूरा करने के लिए प्रेत योनि में चली जाती है। बाबा जी की
कृपा से अपना भोजन पाकर प्रेतात्मा उस व्यक्ति को छोड़कर चली जाती हैं फिर
व्यक्ति को आराम मिल जाता है, वह सामान्य हो जाता है।
पिछले बुधवार को भारत की राजधानी दिल्ली दहलने से बची। दिल्ली उच्च
न्यायालय के गेट नम्बर 7 के समीप पार्किंग में एक कार के नीचे रखी गई
प्लास्टिक थैली के विस्फोट से करीब 20 फिट तक आग की लपटें उठीं। घटना में
तीन कारें क्षतिग्रस्त हुईं। दिल्ली में सतर्कता बढ़ा दी गई है और प्रमुख
स्थानों पर चौकसी है। आत्मघाती हमले के लिए 1200 आतंकवादी घुसपैठ करने के
लिए तैयार हैं। विदेश यात्रा पर जाने से पहले प्रधानमंत्री को जानकारी दे
दी गई है। भारत पर खतरा मंडरा रहा है। जनता राष्ट्रपति का हस्तक्षेप
चाहती है।
सत्संग में बाबा जी ने बताया कि-जैसे इस दुनियां में कानून और व्यवस्था
बनाए रखने के लिए पुलिस होती है और अपराधीयों को दण्ड देती है उसी प्रकार
इस आसमान के ऊपर धर्मराज का दरबार लगता है जहां मृत्यु के बाद जीवों का
इन्साफ होता है। यमदूत सिपाही समय पूरा होने पर जीवात्मा को शरीर से
निकालकर बाहर करते हैं फिर उन्हें यमराज की कचहरी में इन्साफ के लिए पेश
करते हैं। मौत के समय इन्सान बोल नहीं सकता और मोह में आंसू छल-छल आंखों
से गिरते रहते हैं। यमदूत जुबान एैंठ देते हैं फिर भी प्राण इस शरीर को
छोड़कर बाहर नहीं निकलते। यह कर्मों की बड़ी दर्दनाक प्रतिक्रिया है।
जीव जब विशेष आसक्ति में पड़ा रहता है तो कदापि शरीर नहीं छोड़ना चाहता तब
यमदूत ऐसी पीड़ा उत्पन्न कर देते हैं जिसमें जीव को एक साथ हजार बिच्छू
डंक मारने की सी असहनीय पीड़ा होने लगती है। मार, त्रास और भय से जीव
बेहोश हो जाता है फिर उसे बांधकर बड़ी क्रूरता के साथ यमराज के पास ले
जाते हैं। यमदूतों का लिंग शरीर होता है और मौत के समय जीवात्मा भी इस
शरीर को छोड़कर लिंग शरीर धारण कर लेती है। जिन साधकों की दिव्य दृष्टी
खुली होती है वो इन सभी दृश्यों को देखते रहते हैं।
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